नगर निगम आवासीय क्षेत्रों में तो हाउस टैक्स बिल बढ़ाकर भेज रहा है, लेकिन शराब की दुकानों पर मेहरबानी की जा रही है। नगर निगम ने बीते साल शराब की दुकानों और मॉडल शॉप से लाइसेंस शुल्क नहीं वसूला। निगम अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही से नगर निगम को करीब 16 लाख रुपये का नुकसान हुआ है। ऑडिट विभाग ने इस पर आपत्ति लगाकर निगम अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी है।
नगर निगम के कर्मचारियों ने शहर में देशी, विदेशी शराब, बीयर शॉप और मॉडल शॉप की संख्या को भी कम दर्शाया है, जबकि आबकारी विभाग के आंकड़ों में दुकानों की संख्या कहीं ज्यादा है। निगम सूत्रों की मानें तो मॉडल शॉप, शराब ठेकों से ‘अंडर द टेबल’ वसूली की जा रही है। ऐसे में यह रकम नगर निगम के सरकारी कोष में जाने की बजाय कर्मचारियों की जेेब में जा रही है। नगर निगम देशी शराब के प्रत्येक ठेके से सालाना 6 हजार रुपये लाइसेंस शुल्क जमा कराता है। विदेशी शराब ठेके से 12 हजार, बीयर शॉप से 6 हजार और मॉडल शॉप से 12 हजार रुपये लाइसेंस शुल्क जमा कराया जाता है। नगर निगम के कर्मचारियों ने दुकानों की संख्या के आंकड़ों को ही कम दर्शाया है।
रिपोर्ट के मुताबिक नगर निगम सीमा क्षेत्र में 109 देशी शराब ठेके, 71 विदेशी शराब ठेके, 72 बीयर शॉप और 44 मॉडल शॉप हैं। नगर निगम ने सिर्फ 63 देशी शराब ठेके, 20 विदेशी शराब ठेके, 31 बीयर शॉप और 6 मॉडल शॉप से ही लाइसेंस शुल्क वसूला है। यानी शहर में शराब के कारोबार से जुड़े 296 प्रतिष्ठानों से लाइसेंस शुल्क वसूला जाना था, लेकिन नगर निगम ने महज 120 प्रतिष्ठानों से वसूली की। 176 ठेके और मॉडल शॉप का लाइसेंस शुल्क या तो नगर निगम वसूल नहीं रहा है या फिर इसमें खेल किया जा रहा है। अब ऑडिट विभाग ने यह मामला पकड़ा है और नगर निगम से इस पर जवाब मांगा है।
आवासीय क्षेत्रों में भेज रहे बिल बढ़ाकर, शराब की दुकानों को राहत